यह शाकंभरी मंदिर से 3.5 कि. मी. ऊपर पहाड़ी पर है, ईसकि मान्यता है, कि मॉ शाकंभरी का मंदिर ईन्ही के अधीन आता है व नाथजी कि गद्दी भी यही से नियुक्त होती हैं
ये भी मैयाजी से 3 कि. मी. ऊपर है, यहॉ का रास्ता मुनीजी के आश्रम से होकर पहाड़ी पर है, ये मॉ शाकंभरीजी के भैरुजी है
ये मैया के प्रथम नाथजी हैं ईनके बारे मे सुना है, कि मैया ईनसे बात करती थी, व ये जब चाहते थे, तब मैयाजी को बुला लेते थे, और ये समाधि लेने के बाद भी शैर के रुप मे कई बार मंदिर मे आते थे,
ये कुंड शिवनाथजी के मंदिर से आगे हैं
ये गोरिया रोड़ पर सकराय से 4 कि. मी. कि दुरी पर है, यहॉ पहाड़ से पानी 12 रो महीना बहता रहता है,